नीमच जिले के रामपुरा तहसील के चचोर क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश और पीला मोजेक वायरस के प्रकोप से खरीफ की सभी फसलें बुरी तरह प्रभावित हो गई हैं। अतिवृष्टि से खेतों में पानी भरने के कारण फसले अफ़लन हो चुकी है और कुछ गिनी चुनी फलियां हे वह भी सड़ने लगी हैं। किसानो का कहना है कि अतिवृष्टि के कारण फसलें जलमग्न के साथ ही फसलें वायरस से सूख रही हैं। जिम्मेदार मुकदर्शक कोई नहीं किसानो की पूछ परख सूद लेने वाला।।किसानों की मांग हे की बिना सर्वे किए बगैर ही हमें बीमा राशि और मुआवजा दिया जाए।।,क्योंकि चचोर क्षेत्र में फसल नुकसानी का सर्वे शुरू नहीं किया गया। इससे किसानों में गहरा आक्रोश व्याप्त है। किसानों का कहना है कि शासन स्तर पर सर्वे नहीं होने से आर्थिक और मानसिक संकट झेल रहे हैं।कुछ किसानों का कहना है कि रबी की फसल के समय किसान अपने खेत में पराली जलाता है तो उसकी आवाज चंद घंटे में दिल्ली पहुंच जाती हैं।और तहसील द्वारा उनको दंडित किया जाता है। तो अब क्या हो रहा इतने सारे संकट और फसल बर्बाद होने के बाद भी क्या सरकारी नुमाइंदे कहां गायब हो गए अब तक क्यों नहीं जागे। पटवारी गिरदावर अब तक गांव में फसल का सर्वे करने क्यों नहीं आए। इस गांव के किसानों को आज तक कोई लाभ नहीं दिया गया है सिर्फ ऊंट के मुंह में जीरा जैसी कहावत वैसे ही बीमा राशि डाली जाती है। पर इस बार तो हद ही हो गई अभी तक क्यों नहीं जागे सर्वे के लिए रामपुरा तहसील के हल्का न 98 के पटवारी गिरदावर ।कृषक प्रह्लाद यादव का कहना है कि सोयाबीन की फसल में अफलन और पीला मोजेक वायरस हो जाने से 80,,85 प्रतिशत तक नुकसान हो चुका है। अन्य खरीफ फसलें भी पूरी तरह खराब हो गई हैं। जैसे 2018 में बाढ़ पीड़ित और बिना सर्वे के कमलनाथ सरकार ने किसानों के खाते में बीमा और मुआवजा राशि डाली थी आज भी वैसा ही होना चाहिए।मोहन सरकार में भी बिना सर्वे के किसानों के खाते में बीमा और मुआवजा राशि डालना चाहिए। इस और शासन प्रशासन ध्यान देंगा।क्योंकि आज तक कोई अधिकारी नुकसानी का सर्वे करने खेतों तक नहीं पहुँचा। अब तक शासन-प्रशासन ने कोई मदद नहीं की। इस बार तो नुकसान बहुत ज्यादा हुआ है, इसलिए तत्काल बीमा राशि और मुआवजा मिलना चाहिए।
ब्यूरो रिपोर्ट,, दशरथ माली चचोर





अज्जीमुला खान/ दशरथ माली
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