गांधी सागर वाटर बैक एरिया से सटी हुई संपूर्ण ग्राम पंचायतो में सक्रिय हुए खनन माफिया तहसील में धड़ल्ले से चल रहा है अवैध खनन।। ना कोई खेर ना कोई खबर कोई नहीं है जिम्मेदार।। जिम्मेदार है मोन।।नीमच जिले की रामपुरा तहसील के अंतर्गत आने वाले गांधी सागर वॉटर बैक एरिया से सटी हुई ग्राम पंचायतो में खनन माफिया फिर हुए सक्रिय ।ग्रामीण क्षेत्र में डामरीकरण रोड 8 टन से आसपास के बने होते हैं पर वहीं भारी भरकम डंपर जिसमें लगभग 20 से 30 टन लोडेड ग्रामीण क्षेत्र की सड़कों को कर रहे हैं खराब। पहली बारिश में ही दिखा देते हैं सड़के अपना रूप। तब्दील हो जाती है उभड खाबड़ खड्डों में।आखिर कब जागेगा रामपुरा तहसील का राजस्व विभाग। ग्रामीण क्षेत्रों में कई बड़े-बड़े तालाबों को ग्राम प्रमुख की मिली भगत से खनन माफिया कर रहे हैं खोखला। कार्यवाही नहीं तो क्या मिली भगत से चल रहा है तहसील में अवैध खनन।। क्या एक्शन लेंगे जिला नीमच खनिज अधिकारी। जैसे बारिश आती है वैसे ही जेसीबी पोकलेन माफियाओं के ग्रामीण क्षेत्र की फिजा बिगाड़ कर जैसे तैसे हाल में रस्ते व सड़कों को छोड़कर चले जाते हैं। जिससे बड़े-बड़े गड्ढे बारिश में कई अनहोनी को न्योता देते हैं। यहां तक की गावो में इनके दलाल सक्रिय रहते हैं। जो किसानों को कहीं महंगा दामों में लाल मिट्टी बेचकर कई गुना मुनाफा कमा रहे हैं। कोई शासकीय जमीन खोद रहा है। तो कोई अपनी निजी जमीन है। पर ढाई से 3 फीट नीचे शासकीय जमीन होती है। क्या इनको यह गड्ढे खोदने की अनुमति तहसील कार्यालय से लेते हैं या फिर अपनी मनमानी से यह इतने बड़े खनन को अंजाम दे रहे हैं। अगर अनुमति नहीं तो फिर इनके ऊपर कार्रवाई क्यों नहीं।हर दो से 4 किलोमीटर के दायरे में मिट्टी माफिया खनन करते दिखाई देंगे। रामपुरा तहसील में पड़ोसी राज्य राजस्थान से आई गई जेसीबी को पोकलेन डंपर दिखाई देंगे। खनन माफिया ग्रामीण क्षेत्र के निचले क्षेत्र में ऐसी जगह खनन करते हैं जहां अधिकारियों की नजर न जाए।जैसे खार, खेत, नदी के आसपास वह बीहड़ क्षेत्र मैं सक्रिय यह क्यों नहीं दिखाई दे रहा विभाग को। तहसील में आखिर कब होगी बड़ी कारवाई।जिले से लेकर तहसील तक और इनमें प्रमुख क्षेत्रीय अपने-अपने हलके के पटवारी गिरदावर क्यों है मोन।। कब होगी खनन माफियाओं पर कार्रवाई जिधर देखा जिधर बड़े-बड़े गड्ढे मिट्टी माफियाहो ने मचा रखा ग्रामीण क्षेत्र में आतंक। कहीं बिना नंबर के ट्रैक्टर ट्रोलि ग्रामीण क्षेत्र में सक्रिय है। जिनके ऊपर सही से जांच पड़ताल की जाए तो कहीं ट्रैक्टर ट्राली एक्सपायरी डेट में चल रहे हैं। कहीं ट्रैक्टर अनफिट बिना बीमा के रोड व सड़कों पर धड़ल्ले से चल रहे हैं।और कहीं 1990 के जमाने के आज तक ग्रामीण क्षेत्र में सक्रिय हैं। कोई नंबर वगैरह नहीं और अगर हैं तो वह एक्सपायरी दिखाई देंगे लगभग 40% ट्रैक्टर ट्राली इसी हालत में ग्रामीण क्षेत्र में ट्रैफिक बढ़ा रहे हैं ।यहां तक की ध्वनि प्रदूषण के तौर पर बड़े-बड़े साउंड स्पीकर लगाकर ध्वनि प्रदूषण फैला रहे । ट्रैक्टर एक कृषि यंत्र है पर ट्रैक्टर का इसके विपरीत एक बिजनेस के तौर पर इनको उपयोग हो रहा है। कहीं पुराने और एक्सपायरी वाहनों की भरमार है ग्रामीण क्षेत्रों में।यह ट्रैक्टर मिट्टी लोडेड होने के बाद इस कदर ग्रामीण क्षेत्र की गलियों से निकलते हैं। जैसे फोर लाइन 8 लाइन पर निकल रहे हैं ।और वही कई तेज आवाज में ध्वनि प्रदूषण करते हुए ग्रामीणों को कर रहे हैं परेशान। ग्रामीण क्षेत्र में आम जनता को धूल मिट्टीकण ध्वनि प्रदूषण व ट्रैफिक की वजह से कई दिक्कतों का करना पड़ रहा है सामना। आखिर कब होगी जेसीबी पोकलेन ध्वनि प्रदूषण व एक्सपायरी ट्रैक्टर व साउंड बिना लाइसेंसी ड्राइवरो पर कार्रवाई।। कब करेगा विभाग इनके ऊपर कारवाई क्या कोई बड़ी अनहोनी होने के बाद जागेगा विभाग व प्रशासन। दिन पर दिन में जून में सक्रिय हो जाते हैं। खनन माफिया और जैसे-जैसे बारिश नजदीक आती है तो इनके हौसले और बुलंद होते जाते हैं। कब जागेगा मोहन सरकार में नीमच जिले में बैठे राजस्व विभाग अधिकारी आरटीओ व प्रशासन,,, खबर सूत्र अनुसार
ब्यूरो रिपोर्ट ,,,दशरथ माली चचोर
