बोलिया बना सट्टे का हॉटस्पॉट डेढ़ करोड़ के सट्टा कारोबार का भंडाफोड़, सरगना रईस फरार, 4 आरोपी पुलिस के शिकंजे में..! मोबाइल से चलता था राजस्थान-एमपी नेटवर्क..!
एडिशनल एसपी कुरील की अगुवाई में कार्यवाही, मोबाइल से गांव-गांव फैले सट्टा किंगडम का खुलासा..!
गरोठ-क्षेत्र की जमीन पर सट्टे का गोरखधंधा दिन-ब-दिन गहराता जा रहा है और अब यह बात किसी अफवाह या फुसफुसाहट की नहीं बल्कि पुलिसिया दस्तावेजों की है, जिसमें खुलासा हुआ है डेढ़ करोड़ से ज्यादा के सट्टे का खेल, जो मोबाइल के ज़रिए ना सिर्फ मध्यप्रदेश के गांव-गांव में, बल्कि राजस्थान तक अपनी जड़ें जमा चुका था।
बोलिया गांव की एक तंग गली, मस्जिद वाली सड़क के किनारे इमरान के मकान में पुलिस ने छापा मारा और जो सामने आया उसने सबको चौंका दिया – सट्टे की 13 गड्डियां, जिन पर लिखा था 1.51 करोड़ का हिसाब, मोबाइलों की फौज, हिसाब-किताब की डायरियां और केलकुलेटर जैसे सट्टे के हथियार।
इस ताबड़तोड़ कार्रवाई की कमान खुद गरोठ की एडिशनल एसपी श्रीमती हेमलता कुरील ने संभाली और उनके साथ एसडीओपी विजय कुमार यादव, थाना प्रभारी हरीश मालवीय और बोलिया चौकी प्रभारी सउनि धन्नालाल योगी ने सटीक जाल बिछाकर चार आरोपियों को रंगेहाथों धर दबोचा।
गिरफ्तार आरोपियों में जसवंतसिंह राजपूत पिपल्यामंडी का निवासी, साहिल रमजानी बोलीया का, सुलेमान रईस रंगरेज नीमच निवासी तथा मुकेश झालावाड़ राजस्थान से शामिल हैं। इन चारों के पास से पुलिस ने ₹7,230 नगद, 15 मोबाइल, 5 कैलकुलेटर, 4 सट्टा कट्टे , 4 डायरियां और कुल मिलाकर करीब ₹2 लाख 9 हजार का मटेरियल ज़ब्त किया है।
लेकिन इस पूरे गोरखधंधे का असली सरगना – रईस रंगरेज, जो मोबाइल से राजस्थान तक का नेटवर्क संभालता था अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है और फरार चल रहा है। पुलिस ने रईस के खिलाफ अपराध क्रमांक 242/2025 के तहत केस दर्ज कर उसकी तलाश तेज़ कर दी है।
जानकार सूत्रों की मानें तो ये सट्टा रैकेट सिर्फ छोटे-मोटे खिलाड़ियों का नहीं बल्कि इसके तार बड़े रसूखदारों, सफेदपोशों से भी जुड़ते हैं। चर्चाएं तेज़ हैं, कि सट्टे के नाम पर मोबाइल के ज़रिए लाखों का लेन-देन होता था, और भोली-भाली जनता को दस गुना मुनाफे का झांसा देकर UPI, फोन-पे के ज़रिए पैसा वसूला जाता था।
प्रेस नोट के मुताबिक आरोपी करोड़ों की सट्टा राशि पर अंक दर्ज कर रहे थे, और लोगों को सपनों के महल दिखाकर उनका पैसा निगलते जा रहे थे। जब्त की गई डायरियों में साफ-साफ लिखा गया है, लाखों का हिसाब, जो बता रहा है, कि यह धंधा कोई शौक नहीं बल्कि एक संगठित उद्योग बन चुका था।
अब सबसे बड़ा सवाल ये है, कि क्या फरार रईस और उसके जैसे बाकियों को भी जल्द गिरफ्तार किया जाएगा..? क्या इस बार सिर्फ मोहरे ही नहीं बल्कि असली खिलाड़ी भी सलाखों के पीछे होंगे..?
क्षेत्रवासियों की निगाहें एडिशनल एसपी हेमलता कुरील पर टिकी हैं, जो मामले में पूरी गंभीरता से हर कड़ी को जोड़ रही हैं, और जिनकी पूछताछ की धार रसूखदारों की नींदें उड़ा रही है।
और अब जब पुलिस के हाथ डेढ़ करोड़ के इस मोबाइल सट्टे का खुलासा लग चुका है, तो सवाल और भी गंभीर हो जाते हैं क्या प्रशासन उन नामों को भी सामने लाएगा जो इस काले खेल के मास्टरमाइंड हैं..?
क्या यह सिर्फ एक छापा था या शुरुआत है, उस सफाई अभियान की, जो गरोठ-भानपुरा क्षेत्र को सट्टे के इस संक्रमण से मुक्त कर सकता है..?
फिलहाल रईस रंगरेज की गिरफ्तारी बाकी है..!
ब्यूरो रिपोर्ट,,,गरोठ

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