रिपोर्टर सत्यनारायण बैरागी
ऋषभ ने इंडियन फॉरेन सर्विस को अपनी पहली पसंद के रूप में चुना है। इससे पहले वे जर्मनी की बैंक दाउचे में 17 लाख रुपये के वार्षिक पैकेज पर कार्यरत थे। 2022 में उन्होंने नौकरी छोड़कर यूपीएससी की तैयारी शुरू की।
तैयारी के दौरान उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इस दौरान उनके पिता मनोज चौधरी का देहांत हो गया। परिवार की जिम्मेदारी के साथ माता और भाई की देखभाल का दायित्व भी उन्होंने बखूबी निभाया।
ऋषभ की शिक्षा कमला सकलेचा भानपुरा से शुरू हुई। उन्होंने सक्सेस स्कूल शामगढ़ से 12वीं की। भोपाल के मेनिट कॉलेज से कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की। डाउट क्लियर करने के लिए उन्होंने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का सहारा लिया। एक महीने के लिए दिल्ली जाकर नोट्स तैयार किए और फिर गरोठ में रहकर पढ़ाई की।
युवाओं को संदेश देते हुए ऋषभ कहते हैं कि यह देश की जीडीपी ग्रोथ का समय है। उनका मानना है कि लक्ष्य प्राप्ति में समय भले ही अधिक लगे, लेकिन प्रयास जारी रखना चाहिए। उनकी यह सफलता मध्यवर्गीय परिवार के युवाओं के लिए प्रेरणा बन गई है।