कमलेश आमेटा की रिपोर्ट –
जयपुर राजस्थान में ओला, उबर, रैपिडो, और इंड्राइव जैसी ऐप-आधारित कैब और बाइक टैक्सी सेवाएं प्रदान करने वाली कंपनियों के ड्राइवरों ने हड़ताल और पूर्ण बहिष्कार का ऐलान किया है। इस हड़ताल का मुख्य कारण इन कंपनियों की ओर से बढ़ता शोषण, अनुचित किराया नीतियां, और मोटर वाहन अधिनियम (Motor Vehicle Act) के उल्लंघन के साथ-साथ मोटर वाहन एग्रीगेटर गाइडलाइंस का पालन न करना है। ड्राइवरों का कहना है कि कंपनियों के बीच अंधाधुंध प्रतिस्पर्धा के कारण किराए को अनुचित रूप से कम किया जा रहा है, जिससे उनकी आजीविका पर गंभीर संकट मंडरा रहा है। साथ ही, इन कंपनियों ने हजारों निजी (प्राइवेट) बाइक चालकों को अपनी सेवाओं से जोड़ा है, जो मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के तहत गैरकानूनी है। यह मांग पत्र ड्राइवरों की समस्याओं को विस्तार से प्रस्तुत करता है और उनके हितों की रक्षा के लिए ठोस मांगों को सामने रखता है!
जयपुर के ड्राइवरों और उनकी यूनियनों ने मांगों को लेकर एक मांग की है ! जिसे सरकार, परिवहन विभाग, और संबंधित कंपनियों के समक्ष प्रस्तुत किया है !
कंपनियों को किराए की नीति को पारदर्शी और ड्राइवरों के लिए लाभकारी बनाना चाहिए। प्रति राइड कमीशन को कम से कम 20% तक बढ़ाया जाए, ताकि ड्राइवरों को उनकी मेहनत का उचित मूल्य मिले।
पीक आवर्स में किराए की मनमानी को नियंत्रित करने के लिए सरकार द्वारा एक अधिकतम और न्यूनतम किराया सीमा निर्धारित की जाए।
निजी बाइकों के उपयोग पर रोक
निजी (सफेद नंबर प्लेट वाली) बाइकों का व्यावसायिक उपयोग तत्काल प्रभाव से बंद किया जाए। सभी बाइक टैक्सियों को व्यावसायिक परमिट और पीली नंबर प्लेट के साथ पंजीकृत किया जाए।
कंपनियों को निर्देश दिया जाए कि वे केवल मोटर वाहन अधिनियम के अनुरूप पंजीकृत वाहनों को ही अपनी सेवाओं से जोड़ा जाए!
हड़ताल और बहिष्कार का कारण
ड्राइवरों ने स्पष्ट किया है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे हड़ताल और कंपनियों की सेवाओं का पूर्ण बहिष्कार जारी रखेंगे।
जयपुर में ओला, उबर, रैपिडो, और इंड्राइव के ड्राइवरों की मांग है कि उनके शोषण, गैरकानूनी गतिविधियों, और अनुचित कार्यस्थितियों के खिलाफ एक मजबूत आवाज है। ड्राइवर न केवल अपनी आजीविका की रक्षा के लिए लड़ रहे हैं, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा और कानून के पालन की मांग भी कर रहे हैं। सरकार और परिवहन विभाग को इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए और कंपनियों को मोटर वाहन अधिनियम और एग्रीगेटर गाइडलाइंस का पालन करने के लिए बाध्य करना चाहिए। ड्राइवरों की मांगों को पूरा करना न केवल उनके हित में है, बल्कि यह जयपुर के परिवहन तंत्र को और अधिक सुरक्षित, व्यवस्थित, और निष्पक्ष बनाने में भी मदद करे।