संवादाता रमेश गुर्जर
नीमच जिला कलेक्टर हिमांशु चंद्र ने भरसक प्रयास किया की प्रक्रिया पारदर्शी हो और सभी व्यापारी इससे लाभान्वित हो, बावजूद इसके कुछ लोगों के स्वार्थ के चलते पूरी प्रक्रिया दोषपूर्ण हो गई, इतना ही नहीं पूरी नीलामी प्रक्रिया को चैलेंज करने के लिए हाई कोर्ट में भी अपील दायर की जा चुकी है अब अगर यह प्रक्रिया निरस्त होती है या आवंटन पर स्टे आता है तो न केवल मंडी प्रशासन अपितु जिला प्रशासन की भी प्रदेश स्तर पर किरकिरी हो जाएगी।
मंडी प्रशासन पर समय-समय पर किसानों के शोषण के आरोप लगते आए हैं लेकिन यह पहली मर्तबा है जब मंडी प्रशासन की ढुल मूल नीति के चलते व्यापारियों के शोषण के आरोप भी मंडी प्रशासन पर लग रहे हैं।
सबसे बड़ी बात तो यह है कि राठौड़ी में जिन व्यापारियों को जींस विशेष के साथ रखा गया उसके लिए मंडी प्रशासन के पास कोई कानूनी अधिकार नहीं है। और जब पूरा ही कार्य आपसी रजा मंदी से हो रहा था तो मूंगफली के नाम पर केवल कुछ व्यापारियों को ही नीलामी का हिस्सा क्यों बनाया गया जबकि अन्य व्यापारियों को भी इसमें बोली लगाने की पात्रता दी जा सकती थी।
बावजूद इन सबके नीलामी की प्रक्रिया में एक भारी सांठ गांठ का दृश्य उपस्थित हुआ जिसमें तथाकथित मूंगफली के व्यापारियों ने लगने वाली आम बोलियां से लगभग आधी कीमत पर ही अपने व्यावसायिक भूखंड क्रय करना सुनिश्चित कर लिया।
विश्वसनीय सूत्रों से ज्ञात हुआ कि 17 भूखंडों के लिए कुल 23 आवेदकों ने आवेदन किए थे जिनमें 6 आवेदक को 8 से 10 लाख रुपए की राशि देकर नीलामी प्रक्रिया में मौन स्तंभ बनाकर बिठा दिया और उक्त 17 भूखंडों के लिए 18 से 20 लाख के बीच बोलियां लगाई गई। व्यापारियों की यह सांठ गांठ की गूंज उच्च न्यायालय तक भी पहुंच गई है। शीघ्र ही वहां से इस प्रक्रिया को लेकर मंडी प्रशासन और जिला प्रशासन को तलब किया जाएगा।
नीमच कृषि उपज मंडी पूरे प्रदेश में विभिन्न प्रकार की जिंसों की खरीदी के रूप में अव्वल नंबर पर जानी जाती है लेकिन पिछले दिनों हुए भूखंडों की नीलामी के चलते भ्रष्टाचार और सांठ गांठ को लेकर भी प्रदेश के महत्वपूर्ण गलियारों में नीमच की मंडी की गूंज गूंजी है।
मामला बहुत सामान्य सा था नई कृषि उपज मंडी में वर्षों से कार्यरत व्यापारियों को अपने कार्य को सुचारू रूप से चलाने के लिए स्थान उपलब्ध करना था वैसे तो यह प्रक्रिया टेंडर के माध्यम से भी पुरी की जा सकती थी लेकिन प्रदेश स्तर पर वाह वाही बटोरने और पीठ थपथपाने के लिए नीलामी की प्रक्रिया अपनाई गई, जिसमें सामर्थ्य वान और बड़े व्यापारियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और दो लाख की कीमत के भूखंडों को 61 लाख तक पहुंचा दिया। ऐसे में कई छोटे व्यापारी जिन्होंने मंडी में अपना स्थान निर्धारित करने का सपना संजोया था हाशिए पर आ गए। विडम्बना तो यह रही की नीमच की नवीन कृषि उपज मंडी में अपना पैर जमाने के लिए कई नए लाइसेंस धारियों ने भी नीलामी की प्रक्रिया में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया जबकि इनका मंडी व्यवसाय से कोई लेना-देना ही नहीं है और कई ऐसे बाहुबलियों ने भी भूखंड कब्जाए जिनका मंडी व्यवसाय में कार्य नगण्य है।
बावजूद इन सबके नीलामी की प्रक्रिया में जिसमें एक भारी सांठ गांठ का दृश्य उपस्थित हुआ