जयपुर से कमलेश आमेटा की रिपोर्ट –
बेटियों के सपनों को जब पंख लग जाते हैं तो वे मीलों आसमान की ऊंचाइयों को छूने का गौरव हासिल कर लेती हैं. ऐसा ही कारनामा झुंझुनूं के किसान सुभाष तेतरवाल की बेटी निहारिका तेतरवाल ने कर दिखाया है. निहारिका का हमेशा से मानना रहा है कि सीटें 27 हों या 2700…चाहे जितनी भी हों, हमें बस एक चाहिए. इसी जिद और खुद पर विश्वास के दम पर उन्होंने भारतीय सेना में सीट हासिल की और लेफ्टिनेंट के पद पर नियुक्ति पाई !