चचोर तहसील रामपुरा जिला नीमच मध्य प्रदेश।
दिन पर दिन बड़ रहा कर्ज का बोझ, किसान हैरान और परेशान किसानों के चेहरे पर छाई मायूसी कब होगा शासन मेहरबान
जी हां पिछले 5 सालों से कभी अतिवृष्टि तो कभी अल्प वर्षा से फसल चौपट हो रही है फसल किसानों के घरों में कभी सुरक्षित नहीं गई। प्रकृति के प्रकोप ने किसानों के सपने चकनाचूर कर दिए। प्रकृति का मारा किसान कर्ज के बोझ तले दबा जा रहा है, लेकिन किसानों को ना सरकार और ना ही बीमा कंपनी राहत दे पा रही है। जिसको दिया मासूम बच्चों को गोली बिस्किट के पैसे के समान दिया, यानी कि ऊंट के मुंह में जीरा के समान, तो कई किसानों को दिया ही नहीं। इस बार पैदावार अच्छी होने की उम्मीद थी पर खरीफ की प्रमुख फसल सोयाबीन की फसलों में पीला मोजेक रोग का जबरदस्त आक्रमण हो रहा है साथ ही इल्ली के प्रकोप तथा वायरस से फसलों को पकाने से पूर्व ही सूखने लगी फसल तथा गत वर्ष की राहत राशि एवं फसल बीमा और ना ही मुआवजा मिला। प्रकृति और सरकार का मारा किसान बर्बादी के चौराहे पर आ गया है, लेकिन सरकार और प्रकृति के आगे मजबूर किसान ठगा गया। खरीफ सीजन की फसल सोयाबीन, उड़द, मूंगफली, मक्का आदि फसलों में जबरदस्त पीला मौजेक वायरस व अन्य रोगों के कारण किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है। प्रारंभ में बरसात की लंबी खींच और पीला मोजेक वायरस के चलते समय से पूर्व ही सूख चुकी फसलों में सोयाबीन का दाना भी नहीं पक पा रहा है, अ फलन हो जाने से किसान दुःखी हो गया है। पहले ही किसानों ने कर्जा लेकर महंगे दाम का बीज बोया था और अब लागत मूल्य तो ठीक आज स्थिति ऐसी है कि निंदाई- गुड़ाई एवं खाद के रुपए भी नहीं निकल रहे हैं। पहले से ही आर्थिक मंदी की मार झेल रहे किसानों को राहत राशि की जरूरत है,सभी क्षेत्रों से अब फसलों के सर्वे एवं मुआवजा की मांग उठने लगी है। चचोर के किसानों का कहना है कि इस वर्ष उन्होंने महंगा बीज लाकर बोवनी की थी सीजन में प्रारंभ से ही प्रकृति की मार के सामने बरसात की लंबी खेंच के कारण फसले प्रभावित रही अब सभी क्षेत्रों में कुछ बारिश हुई तो काफी कम बरसात के कारण बीमारियों ने फसलों को दबोच लिया। बरसात की लंबी खेंच और बीमारी के कारण फसले पीली पड़कर पकाने से पूर्व ही सुखने लगी है। किसानों की माने तो रबी की फसल के आंसू अभी सुखे भी नहीं है कि खरीफ से भी राहत की उम्मीद कुछ नहीं दिख रही है। फसल बुआई करने के बाद समय पर बारिश नहीं हुई,जब जरुरत थी तब नहीं हुई इसीलिए फ़सल का ग्रोथ नहीं हुआ और इल्लियों ने आक्रमण किया, दवा का छिड़काव करे इतने में पीला मोजेक वायरस हावी हो गया पौधों पर फलियां भी नहीं आई। शासन प्रशासन को चाहिए कि बीना सर्वे के मुआवजा और फसल बीमा सभी किसानों को दिया जाए।।।पिछले वर्ष अतिवृष्टि से पूरी तरह फसले बर्बाद हुई थी। अब लगातार रुक-रुककर बारिश से फसलों में 65 से 70% नुकसान हो चुका है। शासन प्रशासन को चाहिए कि जल्द क्षेत्र में सर्वे कर किसानों को मुआवजा और फसल बीमा देना चाहिए।

।।ब्यूरो रिपोर्ट,,,,दशरथ माली चचोर

अज्जीमुल्ला खान/ दशरथ माली
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