दशरथ माली चीताखेड़ा
24 मई। चीताखेड़ा के इतिहास में अब तक की सबसे नकारा, हिटलर शाही, तानाशाही और निष्क्रिय वर्तमान की पंचायत साबित हुई हैं। 20 पंच, एक उप-सरपंच और सरपंच इस पंचायत में यहां की प्रजा ने गांव के विकास और स्थानीय जनसमस्याओं के समाधान हेतु गांव की सरकार बनाई है। वहीं दूसरी ओर चुनाव में इन्हीं उम्मीदवारों ने भी मतदाताओं को खूब जमकर शेखचिल्ली के सब्जबाग सपने दिखाए गए थे। जिनका परिणाम आज जमीनी हकीकत खूद बयां कर रही है। चारों ओर फैली गंदगी का साम्राज्य मुंह बाए खड़ी विकराल जनसमस्याएं जनता के लिए भारी मुसिबत बनी हुई है। पंचायत में बैठे इन जनप्रतिनिधियों को समस्याओं से कोई सरोकार नहीं है।
गांव के अतिसंवेदनशील व्यस्ततम मुख्य मार्गों की दयनीय स्थिति बनी हुई है। नालियां गटरे किचड़ गंदगी से उफन रहें हैं किचड़ भरा रहने से भयंकर बदबू से रहवासियों का जिना दुश्वार हो गया है। इसी मार्ग बस स्टैंड से जैन मंदिर तक जैन गली मार्ग से सरपंच साहिबा प्रतिदिन मंदिर इसी मार्ग से गुजरती हुई मंदिर जाती हैं पर कभी सफाई करवाने की हिमाकत नहीं दिखाई। गांव के कई मार्गों से गुजरने वाले राहगीरों को जंगल के पथरीले रास्तों का आभास हो रहा है। नई आबादी के वार्ड नंबर 7 में वार्डवासियों का कहना है कि यहां धनाढ्य लोगों द्वारा मकान निर्माण मटेरियल कई महीनों से डाल रखा है जिससे नालियां अवरुद्ध पड़ी हुई है बहनें वाला पानी और किचड़ भरा पड़ा हुआ है जिससे मच्छरों की भरमार है किचड़ की बदबू से सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है। नियाजुद्धीन शेख का कहना है कि कई बार पंचायत में बैठे जनप्रतिनिधि को समस्याओं से अवगत कराया पर कोई सुनने को तैयार नहीं है। मैंने मुख्यमंत्री हेल्प लाइन नंबर पर भी शिकायत दर्ज करवाई है। समस्या का समाधान करने के बजाए मुझ पर शिकायत उठाने के लिए दबाव बनाया जा रहा है।
माणक चौक से माली मौहल्ला पहुंच मार्ग की भी बहुत ही दयनीय स्थिति बनी हुई है। मार्ग से राहगीरों का गुजरना भी ख़तरे से खेलना है। जनता समस्या पंचायत में कोई सुनने वाला नहीं है। यहां सरपंच साहेबा से मिलने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है इससे पहले उनके पति देव यानि कि सरपंच प्रतिनिधि से चर्चा करनी पड़ती है। अगर कोई सरपंच प्रतिनिधि से समस्या के समाधान की बात करता है तो प्रतिनिधि की भोंहें तन जाती है और ऐसा जवाब दिया जाता है कि समस्या लेकर जाने वाला मुंह लटकाकर चला जाता है।